मादा प्रजनन तंत्र

मादा प्रजनन तंत्र (FEMALE REPRODUCTIVE SYSTEM)

मादा प्रजनन तंत्र का निर्माण करने वाले अंगों को निम्नलिखित 3 समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है-

1. बाह्य जनन अंग (External genital organs). 2. अंतः जनन अंग (Internal genital organs). 3. सहायक अंग (Accessory organs)

बाह्य जनन अंग External Genital Organs

वे जननांग जो बाहर से दिखायी देते हैं, बाह्य जनन अंग कहलाते हैं | इन्हें सामूहिक रूप से भग या वल्वा (vulva) भी कहते हैं। ये अंग निम्न प्रकार हैं-

Mons Pubis: subcutaneous adipose सामने स्थित होता है। युवावस्था में यह क्षेत्र बालों tissue का मोटा स्तर होता है, जो pubis के ठीक से ढका होता है।

Labia Majora : इन्हें वृहद भगोष्ठ भी कहते हैं। यह भग की बाहरी ओर उभरी संरचना होती है, जो कि वसीय संयोजी ऊतक (adipose connective tissue) की बनी होती हैं। ये शल्की उपकला द्वारा आस्तरित होते हैं एवं इनकी भीतरी सतह पर बाल अनुपस्थित होते हैं। Labia majora नर के scrotum के समजात होते हैं।

Labia Minora : यह भी संख्या में दो होते हैं जो labia majora के ठीक नीचे या अंदर की ओर स्थित होते हैं। ये दोनों clitoris के ठीक आगे या ऊपर संयुक्त होकर frenulum एवं prepuce का निर्माण करते हैं। नीचे की ओर दोनों labia minora संयुक्त होकर fourchette का निर्माण करते हैं।

Clitoris : यह एक संवेदनशील, सीधा होने लायक (erectile) व बेलनाकार संरचना है, जिसकी लम्बाई लगभग 2.5cm होती है। यह vulva के अग्र भाग में शीर्ष के समीप frenulum से नीचे स्थित होती है। यह संभोग (coitus) के दौरान मादा में संवेगों का संचरण करती है। यह नर के शिश्न के समजात संरचना होती है परन्तु यह मूत्रमार्ग (urethra) से संयोजित नहीं होती है ।

Vestibule: यह त्रिकोणाकार स्थान होता है, जिसके अग्र सिरे पर clitoris, दोनों पाश्र्वों में labiaminora एवं आधार या नीचले सिरे पर fourchette स्थित होते हैं। इसमें चार छिद्र खुलते हैं, जो निम्न हैं- मूत्रमार्ग (Urethra) योनि (Vagina) बार्थोलिन ग्रंथियाँ (Bartholin glands) स्कीनी नलिका (Skene’s ducts) Skene’s gland नर की prostate gland के समजात होती हैं।

अतः जनन अग Internal Genital Organs

Valva के अतिरिक्त अन्य अंग जो बाह्य रूप से दिखाई नहीं देते हैं आंतरिक जनन अंगों की श्रेणी में आते हैं। ये अंग निम्न प्रकार हैं |

योनि (Vagina) यह एक नली समान संरचना है, जो introitus या vestibule से cervix तक फैली होती है। इसकी अग्र सतह की लम्बाई लगभग 8cm एवं पश्च सतह की लम्बाई लगभग 9 cm होती है।

संरचना (Structure) : इसकी सतह में मुख्य रूप से गर्भाशय (Uterus) चार परत उपस्थित होती हैं, ये निम्न हैं-

Mucosal layer- यह सबसे आंतरिक परत होती है। यह स्तरित शल्की उपकला उत्तक द्वारा आस्तरित होती है।

Submucousal layer- यह mucosal layer के नीचे स्थित होती है एवं loose areolar tissue से बनी होती है।

Muscular layer- इसमें मुख्यतः दो प्रकार के पेशी स्तर पाए जाते हैं, अन्दर की परत में वर्तुल (circular) एवं बाह्य परत में लम्बवत (longitudinal) पेशी स्तर उपस्थित होते हैं।

Fibrous layer- यह सबसे बाहरी परत होती है, संवहनीय होती है। जो fibrous tissue की बनी होती है एवं अत्यधिक संवहानिय होती है |

कार्य (Function) यह मादा में मैथुन अंग (copulatory organ) की भूमिका निभाती है। मासिक चक्र (menstrual cycle) के दौरान रक्त है। को शरीर से बाहर आने के लिए मार्ग प्रदान करती है | प्रसव के दौरान जन्म मार्ग (birth canal) की भूमिका निभाती है।

गर्भाशय गर्भाशय एक खोखला, पिरामिडाकार अंग है, जो pelvic क्षेत्र में urinary bladder एवं rectum के मध्य स्थित होता है। सामान्यावस्था में इसकी लम्बाई 8cm, चौड़ाई 5 cm एवं मोटाई 1.25cm होती है। सामान्यावस्था में इसका वजन 50-80 gm होता है। इसके मुख्यतः तीन भाग होते हैं-

1. Body or Carpus- यह गर्भाशय का मुख्य भाग होता है, यह isthmus से ऊपर स्थित होता है। इससे fallopian tubes जुड़ी होती है।

2. Isthmus- यह गर्भाशय का cervix एवं body के बीच का भाग होता है। यह सामान्यतया internal- os के स्तर पर स्थित होता है।

3. ग्रीवा (Cervix)- यह गर्भाशय का निचला भाग होता है। यह isthmus से नीचे स्थित होता है। इसमें गर्भाशय की आंतरिक सतह पर दो उभार उपस्थित होते हैं, जिन्हें internal-os एवं external- os कहते हैं। Internal-os cervix को corpus से अलग करता है एवं external-os cervix को vagina से अलग करता है। गर्भाशय का वह भाग जो अण्डवाहिनियों के संयोजक स्थल से ऊपर होता है, cornu कहलाता है ।

संरचना (Structure)

गर्भाशय की आंतरिक संरचना में तीन स्तर उपस्थित होते हैं- Mesometrium (Serosa) – viceral peritoneum की बनी होती है एवं संपूर्ण uterus की बाहरी सतह का निर्माण करती है। यह perimetrium भी कहलाती है।

Myometrium- इस स्तर में पेशियाँ उपस्थित होती हैं। इसमें पेशियों की तीन परत उपस्थित होती हैं-

Outer layer – अनुदैर्ध्य पेशी स्तर (Longitudinal muscle layer)

Middle layer – तिरछा पेशी स्तर (Oblique muscle

Inner layer – वर्तुल या गोल पेशी स्तर (Circular muscle layer)

Endometrium – यह सबसे आन्तरिक पेशी स्तर होता है। इसमें दो स्तर पाये जाते हैं-

Zona functionalis- यह मासिक धर्म के दौरान नष्ट होता रहता है। इसका निर्माण proliferative phase के दौरान zona basalis द्वारा होता है।

Zona basalis – यह स्तर मासिक धर्म की गुणन प्रावस्था के दौरान नए endometrium स्तर अर्थात् zone functionalis का निर्माण करता है।

संस्थिति (Position) : गर्भाशय की मुख्यतः तीन स्थिति संभव है | Anteverted Midposition Retroverted लगभग 50% स्त्रियों में लगभग 25% स्त्रियों में लगभग 25% स्त्रियों में

कार्य (Functions)

यह sperms को cervix से ग्रहण करता है एव निषेचन हेतु अण्डवाहिनियों तक पहुँचने में सहायता करता है| गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को पोषण प्रदान करता है। परिपक्व fetus को बाहर निकलने के लिए पेशीय सकुचन करता है, जिससे प्रसव में सहायता मिलती है । गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के विकास में सहायक होता है। गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को सुरक्षित एवं सुस्थिति में रखने का कार्य करता है ।

अंडवाहिनियाँ (Fallopian tubes or Oviducts)

अण्डवाहिनियों को uterine tube भी कहा जाता है। ये गर्भाशय के दोनों ओर (दांयी व बायी ओर) एक-एक स्थित होती है। इनकी लम्बाई लगभग 10 cm होती है एवं प्रत्येक के दोनों सिरों पर छिद्र होते हैं । 1.25cm होती है एवं यह fallopian tube का दूरस्थ सिरा होता है। इस भाग में fallopian tube का व्यास सर्वाधिक (लगभग 6mm) होता है। इसमें ostium छिद्र होता है, जो अनेक कशाभिकाओं tube में अंदर धकेलती हैं। (fimbriae) से घिरा है, जो ovum को fallopian इनका एक सिरा uterine cavity में खुलता है, यह uterine opening कहलाती है, इसका व्यास लगभग 1mm होता है | दूसरे सिरे पर यह अण्डाशय के निकट खुलती है, यह pelvic व्यास लगभग 2mm होता है। Ostium के स्थान पर fallopian tube में अंगुलीनुमा उभार होते हैं, जिन्हें fimbrae कहते हैं

1. Intermural or Interstitial – यह गर्भाशय में स्थित भाग होता है, इसकी लम्बाई 1cm एवं व्यास लगभग 1mm होता है।

2. Isthmus – यह गर्भाशय की सतह से बाहर निकला हुआ भाग होता है, यह 2.5cm लम्बा एवं 2mm व्यास युक्त होता है।

3. Ampulla- यह कुंडलित या मुड़ा हुआ भाग होता है, ये मादा के प्रमुख जनन अंग हैं। ये एक जोड़ी होते हैं

4. Infundibulum- इसकी लम्बाई लगभग 1.25 cm होती है एवं यह fallopain Tube का व्यास सर्वाधिक (लगभग 6 mm) होता है| इसमें ostium छिद्र होता है, जो ovum Fallopain tube के अन्दर धकेलती है |

संरचना (Structure)

अंडवाहिनी की संरचना में ऊतिकी रूप से मुख्यतः चार परत होती है – Serosa – यह visceral peritoneum से व्युत्पन्न होती है एवं broad ligaments के वलनों से जुड़ी रहती है। यह सबसे बाहरी स्तर होता है।

Adventitia – यह संवहनीय स्तर होता है, इसमें lymph एवं blood vessels वितरित होती हैं।

Smooth muscle – इसमें बाहरी स्तर longitudinal पेशी तंतुओं एवं आंतरिक स्तर circular muscle fibers का बना होता है।

Lamina propria- यह संवहनीय योजी ऊतक की बनी होती है एवं fallopian tube की आंतरिक सतह कशाभयुक्त स्तम्भाकार उपकला (ciliated columnar epithelium) से आस्तरित होती है। ये cilia ovum को गति देने में सहायक होते हैं।

कार्य (Functions)

यह शुक्राणुओं को ampulla की ओर गति प्रदान करने में सहायता करती है एवं साथ ही ovum को uterus की ओर गति प्रदान करती है, इस प्रकार यह निषेचन में सहायता करती है। यह निषेचित ovum को uterine cavity में लाती है ।

अंडाशय (Ovaries) इसकी लम्बाई लगभग 5cm होती है। इसकी गुहा एवं उदर गुहा में अंडवाहिनियों के नीचे एवं गर्भाशय के (lumen) तुलनात्मक रूप से अधिक चौड़ी होती है पार्श्व भागों में स्थित होते हैं।

संरचना (Structure) अंडाशय चारों ओर से घनाकार उपकला (cuboidal epithelium) की एकल परत द्वारा आस्तरित रहता है। यह जनन उपकला स्तर (germinal epithelium) कहलाता है। इस स्तर से घिरे हुए भाग को दो भागों में बाँटा जाता है-

1. Cortex- यह बाहरी भाग होता है, जो जनन उपकला स्तर के सहारे सहारे स्थित होता है। इस भाग में यौवनावस्था आरम्भ होने के पश्चात् प्राथमिक पुटक, द्वितीयक पुटक एवं परिपक्व ग्राफियन पुटक का निर्माण होता है एवं ovum मुक्त होना भी इसी क्षेत्र की घटना है। Corpus albicans का निर्माण भी इसी क्षेत्र में होता है |

2. Medulla – यह Ovary का मध्य भाग होता है, इसमें ढीले संयोजी ऊतक, अरेखित पेशियाँ, रक्त वाहिनियाँ एवं तंत्रिकाएं उपस्थित होती हैं। यह भाग cortex को पोषण प्रदान करता है। इसमें वृषणों की ‘interstitial cells’ की समजात ‘Hillus cells’ पायी जाती हैं।

कार्य (Functions) Ovary परिपक्व ovum का निर्माण करती है। यह जनन एवं लैंगिक हार्मोन्स का स्त्रवण भी करती है।

सहायक अंग Accessory Organs

मादा जनन तंत्र में सहायक अंग निम्न प्रकार हैं :- सहायक ग्रंथियाँ (Accessory glands) – मादा में जनन मार्ग से कुछ ग्रंथियाँ संलग्न होती है, जो जनन मार्ग को शुक्राणुओं के अनुकूल बनाने में सहायता करती हैं। इनमें बार्थोलिन ग्रंथियाँ प्रमुख है।

Bartholin Glands – यह एक जोड़ी होती है एवं vaginal orifice या vestibule के दोनों पार्श्व में खुलती है एव labia majora के पश्च भाग में स्थित होती हैं । इनसे एक तरल पदार्थ स्त्रावित होता है, जो कि vestibule को चिकना बनाए रखता है।

स्तन ग्रंथियाँ (Breasts) मादा में एक जोड़ी स्तन ग्रंथियाँ उपस्थित होती है। ये ग्रंथियाँ शिशु जन्म के बाद दुग्ध निर्माण का कार्य करती हैं। ये सामान्यतया 2nd से 6th पसली तक स्थित होती हैं ।

संरचना (Structure)

स्तन के अग्र सिरे को areola कहते हैं। यह अन्य भाग जमाव नहीं होता है। प्रत्येक स्तन आंतरिक रूप से की तुलना में अधिक वर्णकयुक्त (pigmented) होता है एवं इसका व्यास लगभग 2.5cm होता है। स्तन का सिरा चुचक (nipple) कहलाता है। इसमें लगभग 15-20 दुग्ध-वाहिनियाँ आकर खुलती हैं। संपूर्ण स्तन में वसीय ऊतक का जमाव होने के कारण यह उभरे होते हैं। परन्तु nipple एवं arcola के नीचे वसीय उतक का जमाव नहीं होता है | प्रत्येक स्तन आन्तरिक रूप लगभग 15-20 गुच्छिकाओं में विभाजित होता है, जिनमें कूपिकाओं के गुच्छे होते हैं। इन कूपिकाओं की आंतरिक सतह घनाकार उपकला (cuboidal epithelium) सेआस्तरित होती है। यह स्तर milk secretion करता है |

सभी कूपिकाएँ अनेक वाहिनिकाओं द्वारा संयुक्त होती हैं। ये वाहिनिकाएँ संयुक्त होकर वाहिकाओं का निर्माण करती हैं, जो nipple की ओर बढ़ते हुए संयोजित होती जाती हैं एवं अंत में 15-20 वाहिकाएँ ही nipple पर पहुँच कर opening बनाती हैं। इनसे दुग्ध स्त्रवण होता है।

कार्य (Functions)

जन्म पश्चात् शिशु को दुग्धपान कराना । Contraceptive action in Puerperium.

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